लाल जोड़े में सजी बहना..!!

क्या अजीब है यह वक़्त, जिसमे जा रही वो घर अपने
दिल खुश बहुत हुए जा रहा, पुरे हुए जो देखे सपने
लाल जोड़े में सजी बेहना, संजोग सुन्दर बांधे रब्ब ने
पलकों पर सवारी करती, अब हो चली डोली पे सवार
आंसू ख़ुशी के आँखों से, संग दुवाएं लाखों दी है सब ने
लाल जोड़े में सजी बहना, संजोग सुन्दर बांधे रब्ब ने !!

आनंद की डोर से पिरोया हर पल, नन्हे कदमो से तू चल
आती मेरी ओर प्यारी सी मूरत …..
रोकते अश्क़ भी बह निकले, और वक़्त हाथ से जाए फिसले
चाँद से भी सुन्दर लगे बहन तेरी सूरत…..
तुझे हँसता देख जो ख़ुशी मिले, निराली सारे जग से
लाल जोड़े में सजी बहना, संजोग सुन्दर बांधे रब्ब ने !!

हर घड़ी लम्हा अब याद आ रहा , तेरा रूठ-मनाना सब सता रहा
मनमोह अठखेलियां और भाव निराले भी….
एक बहता आंसू तेरी आँख का, धधका जाता था दिल आग सा
तेरे जाने पे आँगन शक्ल अखत्यारे वीराने सी….
दुआ दम दम पर, चमके तू बढ़कर हर एक नग से
लाल जोड़े में सजी बहना , संजोग सुन्दर बांधे रब्ब ने !!

नन्हीं सी छाँव मेरे घर की, हर गम को मिटाती थी तेरी हसी
और देख तुझे थकान भी हट जाती….
रोब इतना हक़ से जताती, जैसे घर की यही बड़ी
नाराज़ होने पे हाथों से रोटी खिलाती…..
मुस्कराहट कभी ओझल हो ना तेरे लब से
लाल जोड़े में सजी बहना , संजोग सुन्दर बांधे रब्ब ने !!

कैसे भूल जाऊं समय वो वाला, गलती पर कसूर खुद पे लेती सारा
कमियां तक छुपा लेती थी
देर रात आने से आँख दिखाना, डांट लगानी फिर कह कर आवारा
दबे पाँव से खाना दे जाती थी
चाहे कितना नखरे करता, खुश फिर होता रग रग से
लाल जोड़े में सजी बहना , संजोग सुन्दर बांधे रब्ब ने !!

छोटी सी परी हमारे दिल की, देखो आज कितनी बड़ी हो गई
सज-धज कर ससुराल चली…..
हज़ारो ख़्वाब संजो कर नज़रो में और बैठ पलकों की गली
बसाने अपना संसार चली….
चारों तरफ़ फूल बरसते साथ ख़ुशी के नाद बज रहे
लाल जोड़े में सजी बहना , संजोग सुन्दर बांधे रब्ब ने !!

आनंद सुख शांति समृद्धि से भरा तेरा आने वाला हर पल हो
सूरज सी चमक चाँद सी शीतलता परिपूर्ण….
कल कल करता पावन करती रहो तुम जैसे गंगा का जल हो
समाया तुझमे सब ही गुण…..
पराई कभी नहीं होगी, यहाँ-वहाँ आँगन तेरे ही अब से
लाल जोड़े में सजी बहना , संजोग सुन्दर बांधे रब्ब ने !!

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